
प्रखर राष्ट्रवाद न्यूज़। हिंदुस्तान में सभी न्यायालय में अपराधिक केसों को जैसे तैसे निर्णय कर दिया जाता है किंतु 7/1/2020 को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने कहा है कि केवल आपराधिक मामले में सजा मात्र से किसी सरकारी कर्मचारी की बर्खास्तगी नहीं की जा सकती है। उच्च न्यायालय ने कहा कि कर्मचारी के आचरण पर विचार कर निर्णय लिया जाना जरूरी है। इसी के साथ याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द करते हुए नए सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया है। अगर याचिकाकर्ता को हत्या के आरोप में आजीवन कारावास और 10 हजार जुर्माने की सत्र न्यायालय ने सजा सुनाई है। अपील में उसे जमानत मिली है। तो एसएसपी ने सजा होने के कारण बर्खास्त कर दिया था, जिसके खिलाफ यह याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट ने कहा कि आचरण पर विचार कर निर्णय लेना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि याचिकाकर्ता बहाल होता है तो बकाया वेतन सहित पीएफ आदि पाने का भी हकदार होगा।

More Stories
उत्तर प्रदेश के सम्भल में बनी अवैध मस्जिद पर चलेगा बुलडोजर
आज राजधानी में दिनभर चला राजनीतिक उठापठक,पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने कहा – कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत के हिटलर शाही, भ्रष्ट रवैए से व्यथित होकर मुख्यमंत्री निवास में सामने धरना प्रदर्शन के लिए पहुंचे हैं रायपुर,किए गए हाऊस अरेस्ट।देर शाम भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव से कराए गए मुलाकात,8 दिन में कोरबा कलेक्टर का होगा तबादला,मिला आश्वासन।
वैदिक पांचंग – 06 अक्टूबर शरद पूर्णिमा को ऐसा क्या करें जिससे स्वास्थ्य लाभ मिले।