October 17, 2025

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छत्तीसगढ़ शासन द्वारा महरा समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने के पश्चात समाज के साथ हो रहे हैं भेदभाव, बढ़ रही है अस्पृश्यता

प्रखर राष्ट्रवाद न्यूज़ छत्तीसगढ़ – देश की आजादी के पश्चात समरसता को बढ़ावा देने केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों के द्वारा कई प्रभावशाली कानून बनाए गए हैं। वहीं दलित समाज के लोगों के प्रति छुआ छूत खत्म करने के लिए शासन व सामाजिक स्तर पर कई जागरूक कार्यकम किए जाते रहे हैं, बावजूद दलित समाज के लोगों के प्रति पूरी तरह से अस्पृश्यता खत्म नहीं हो पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा महरा समाज को (“संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक 2023”) अनुसूचित जाति में शामिल करने के पश्चात महरा समाज के लोगों के साथ भेदभाव हो रहे हैं। छुआ छूत जैसी सामाजिक बुराई से महरा समाज के लोग भी आए दिन परेशान हो रहे हैं। पूर्व माध्यमिक शाला मानिकपुर कोरबा में बतौर प्रधान पाठक रहे सेवा निवृत शिक्षक सुरेश वस्त्रकार ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 2023 में महरा समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने के पश्चात समाज के लोगों के साथ छुआ छूत जैसी घटनाएं आम हो चुकी हैं। सुरेश वस्त्रकार ने महरा समाज के स्वयंभू, तथाकथित पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि महरा समाज के साथ बड़े स्तर पर षड्यंत्र पूर्वक छल किया गया है। वास्तविक रूप में महरा समाज की संस्कृति,सामाजिक कार्य अनुसूचित जाति में शामिल करने के आधार नहीं बनते हैं। छत्तीसगढ़ शासन व अनुसूचित जाति आयोग को समाज की संस्कृति, रहन, सहन, पूजा पद्धति के विषय में समाज में अपने आप को पदाधिकारी घोषित किए हुए लोगों के द्वारा भ्रामक व झूठा जानकारी दिया गया है। साथ ही इस षडयंत्र में कई प्रभावशाली व्यक्तियों को भी शामिल कर पूरे महरा समाज के साथ अन्याय किया गया है। सेवा निवृत शिक्षक सुरेश वस्त्रकार से महरा समाज के साथ हो रहे छुआ छूत जैसी घटनाएं के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने आगे कहा कि भारत में रहने वाले सभी जाति धर्म के लोगों के प्रति हमारी सद्भाव है, सभी सम्माननीय हैं परंतु हमारी समाज व संस्कृति हमारी मूल पहचान होती है। वही हमारी स्वाभिमान है, किंतु कुछ तथाकथित पदाधिकारियो ने अपने निजी लाभ के लिए समाज के मूल भावना के साथ छेड़छाड़ किया है जिसके परिणाम स्वरूप महरा समाज को छुआ छूत जैसी सामाजिक बुराई का सामना करना पड़ रहा है। इससे हम सब बहुत ही क्षुब्ध हैं, समाज में शासन के प्रति भी रोष व्याप्त हो रही है कि हमारी संस्कृति के विरुद्ध हमें किस आधार पर अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है। सुरेश वस्त्रकार ने बताया कि इस संबंध में उच्चतम न्यायालय में हमारी प्रकरण लंबित है एवं जिन्होंने भी महरा समाज की संस्कृति को धूमिल करने का कार्य किया है तथा केंद्र व राज्य सरकार को भ्रामक जानकारी दी गई है उन्हें कार्यवाहियों का सामना भी करना पड़ेगा।

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